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दर्द दिल के करीब आते हैं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
दर्द दिल के करीब आते हैं ।
अश्क आंखों में झिलमिलाते हैं।।
रात काली लगी सिसकने क्यों
नभ में तारे तो जगमगाते हैं।।
आंधियों के खिलाफ चलते हो
यों तो दीपक नहीं जलाते हैं।।
मुश्किलों में सँभालते खुद को
वीर उन को ही तो बताते हैं।।
जिस तरह बुलबुला हो पानी का
प्राण ऐसे ही जग से जाते हैं।।
एक कागज की नाव हो जैसे
वक्त के साथ बहते जाते हैं।।
है चमत्कार भी जरूरी कुछ
स्वप्न को सत्य जो बनाते हैं।।