दहलीज़ पर बारिश / रसूल हम्ज़ातव / श्रीविलास सिंह
होती है दहलीज़ पर बरसात, चकित मैं, स्वप्न देखता हूँ तुम्हारा,
चोटियों पर गिरती है बर्फ़, चकित मैं, स्वप्न देखता हूँ तुम्हारा।
भोर का निरभ्र आकाश, चकित मैं, स्वप्न देखता हूँ तुम्हारा,
गर्मियों के अनाज के खेत, चकित मैं, स्वप्न देखता हूँ तुम्हारा ।
अबाबीलें गोता लगातीं, उड़ान भरतीं लम्बवत, चकित मैं, स्वप्न देखता हूँ तुम्हारा,
इकट्ठे होते और अलग होते, चकित मैं, स्वप्न देखता हूँ तुम्हारा।
पत्तियाँ जो हिलती हैं और घूमती हैं हवा से, पत्तियाँ जो चमकती हैं ओस की बून्दों से
नहीं देती मुझे कोई राहत, चकित मैं, स्वप्न देखता हूँ तुम्हारा ।
निश्चय ही तुम हो उन सबसे बेहतर लड़की, जिन्हें मैं जानता था
तभी सारे दिन और सारी रात, चकित मैं, स्वप्न देखता हूँ तुम्हारा ।
(1968)
पीटर टेम्पेस्ट के अँग्रेज़ी अनुवाद से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह
लीजिए, अब यही कविता पीटर टेम्पेस्ट के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
Rasul Gamzatov
Rain upon the sill...
Rain upon the sill—dazedly I dream of you,
Snow upon the hill—dazedly I dream of you.
Cloudless skies at dawn—dazedly I dream of you,
Fields of summer corn—dazedly I dream of you.
Swallows dip and dart—dazedly I dream of you,
Gather and depart—dazedly I dream of you.
Leaves that blow and whirl, leaves aglow with honey-dew
Give me no respite—dazedly I dream of you.
Surely you’re a girl better than I ever knew
If all day and night dazedly I dream of you.
1968
Translated by Peter Tempest
लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए
Расул Гамзатов
1968