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दाता एक राम / अल्हड़ बीकानेरी
Kavita Kosh से
साधू, संत, फकीर, औलिया, दानवीर, भिखमंगे
दो रोटी के लिए रात-दिन नाचें होकर नंगे
- घाट-घाट घूमे, निहारी सारी दुनिया
- दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया !
- घाट-घाट घूमे, निहारी सारी दुनिया
राजा, रंक, सेठ, संन्यासी, बूढ़े और नवासे
सब कुर्सी के लिए फेंकते उल्टे-सीधे पासे
- द्रौपदी अकेली, जुआरी सारी दुनिया
- दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया !
- द्रौपदी अकेली, जुआरी सारी दुनिया
कहीं न बुझती प्यास प्यार की, प्राण कंठ में अटके
घर की गोरी क्लब में नाचे, पिया सड़क पर भटके
- शादीशुदा होके, कुँआरी सारी दुनिया
- दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया !
- शादीशुदा होके, कुँआरी सारी दुनिया
पंचतत्व की बीन सुरीली, मनवा एक सँपेरा
जब टेरा, पापी मनवा ने, राग स्वार्थ का टेरा
- संबंधी हैं साँप, पिटारी सारी दुनिया
- दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया !
- संबंधी हैं साँप, पिटारी सारी दुनिया