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दादागिरी / अग्निपुष्प
Kavita Kosh से
अपन धरती पर
अपने फसिल हम
आइ काटल अछि
अहाँ अनेरे तमतमाएल छी
हम एकरा खातिर
दिन-राति बितौने छी
चान नहि रुकै छै
आकाशमे
लहरि नहि रुकै छै
समुद्रमे
नव पल्लव होएब
नहि रुकै छै
कोनो गाछ पर
कोनो प्रतिबन्ध सँ
बारुदक ढेर पर बैसि क'
शान्तिक लेल अहाँक
ई केहन दादागिरी अछि
ई केहन साझी बिरादरी अछि