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दिन हफ्ते पखवाड़े बदले / विजय वाते
Kavita Kosh से
दिन हफ्ते पखवाड़े बदले सन भी बदले हैं
लेकिन घर के सारे कोने पहले जैसे हैं
आज सुबह तेरी अलमारी मैंने खोली थी
और तभी से तेरी खुशबू मुझको घेरे है
मेरी सारी अच्छी शर्टें तू रख लेता था
देख आज तेरे ये कपडे मैंने पहने हैं
सब कहते हैं तू सपनों में आ कर मिलता है
अपनी किस्मत में सपने भी किस्मत जैसे हैं