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दिल्ली / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
सूती वेलै, झिझकै
आ दिल्ली
आधी रै अमलां।
भाख फाटतां ई
करियौ नीं करियो
सिरावण
भाजै है
सड़कां।
रोटी
अर
लंगोटी रै
लारै
मिनख
जमारै !