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दिल के रिश्ते / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
दिल के रिश्ते गाढे हों और बोलाचाली बनी रहे.
मांग दुआ, आँखों के आगे ये हरियाली बनी रहे.
नए चाँद की खुशियाँ ले कर ईद हमारे घर आये,
और तुम्हारे आँगन में हर रोज़ दिवाली बनी रहे.
शक-शुबहों के धूल भरे जाले हो जाएँ साफ़ ज़रा,
ऐसा भी क्या जब देखो तब नज़र सवाली बनी रहे.
संजीदा चेहरों को तकते-तकते सालों गुज़र गए,
अब मुखड़ों पर लाली आई है तो लाली बनी रहे.
बहुत रुलाया है हम बिछुडों को कमबख्त सियासत ने,
कोई सूरत कर कुछ दिन तो अब खुशहाली बनी रहे.