भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दीने इलाही / मन्त्रेश्वर झा
Kavita Kosh से
बनि तऽ गेलह अकबर महान
तों सम्राट शिरोमणि,
गढ़लह दीने इलाही धर्म अभिनव
आ बनि गलह महान
मुदा फतबा
नहि छोड़लकहु तोहरो
रद्द करय पड़लह
सभ धर्मक मूल, मानव धर्म
अपने रचल अपूर्व समन्वयक मार्ग
हिन्दू, मुसलमान, इसाइ आ
बौद्धक सत्य, तत्व
सेवा आ साहचर्यक सत्व
मुदा होइत जातिच्युत, धर्मच्युत, तनखैया
फतवा, तिरस्कृत
करय पड़लह तोहरो समाजक सड़ल
खेल स्वीकृत
बनि ने सकलह, सुकरात, कि क्राइस्ट
कि गांधी
पूजा कि नमाज कि समाजक कोनो वृत्त
करैत छैक एहिना सभके आवृत
असूलैत चक्रवृद्धि ब्याज
ककरो कोनो ने लाज
ककरो कोनो ने लाज।