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दीवार / सुरेश बरनवाल
Kavita Kosh से
दीवारें बढ़ती जा रही हैं
देशों,
समूहों
परिवार
दिलों की बीच।
कुछ बच्चे हैं
जो इन दीवारों पर हाथ फेरते हैं
दस्तक-सी देते हैं
महसूस करते हैं
दूसरी तरफ के स्पर्शों को।
तुम देखना
भविष्य में
इन स्थानों पर
खिड़कियां बनेंगी।