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दु:ख / मनोज श्रीवास्तव
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दु:ख
दु:ख
सुख में
चुभा हुआ
काँटा है--विषबुझा
जो सुख के
पराकाष्ठा तक
पहुंचने से पहले
उसमें बने रहने का
एहसास
दिला ही देता है.