दुराणी जिठानी बाबुल बोली हो मारैं / हरियाणवी
दुराणी जिठानी बाबुल बोली हो मारैं
के नरसी पत्थर ल्यावै हो राम
सास नणदी बोली हो मारैं
के नरसी तील पहरावै हो राम
देवर जेठ बोली हो मारैं
के नरसी मोहर ल्यावै हो राम
तेरा जमाई बोली हो मारै
के नरसी अरथां में आवै हो राम
काणी सी धोबण बोली हो मारै
के नरसी सुरमा ल्यावै हो राम
भेली कसार लेकर हरनन्दी चाली
हो ली सिरसागढ़ की राही हो राम
बूझे सैं उसनै हाली पाली
नरसी भगत कित पावै हो राम
काका ताऊ कै चाली हे जा
नरसी भगत अस्तल में पावै हो राम
कूण किसै के काका ताऊ
नरसी के मैं जांगी हो राम
बूझी सैं उस नै कुएं की पणिहार
नरसी कै मैं जांगी हो राम
दूरे तैं हरनन्दी देखी आंवती
नरसी भगत खड़े होगे हो राम
दोनां हाथां सिर पुचकारा
हे ईसर तेरी माया हो राम
बेटी तैं दई राम जी बेटा बी दिए
आज मनै बहुत रंज आया हो राम
बेबे भी दई भाई बी दिए
आज मन्ने भाती भी चाहिए हो राम
टुट्टी सी गाड्डी बुड्डे से नारे
आप नरसी गड़वाला हो राम
टूटगी गाड्डी बैठगे नारे
खड़े लखावै नरसी भगत हो राम
धौल धौले नारे बाजणां सा रथ
आप किरसन गडवाले हो राम
आ पोंह्चा बाजणां सा रथ
आप किरसन जी भाती हो राम
चार घड़ी लग तील बरसी
पहरो मेरी नणदी हो राम
चार घड़ी लग मोहर बरसी
बरतो मेरे देवर जेठ हो राम
चार घड़ी लग पत्थर बरसे
महल बणाओ सारी दुनिया हो राम
चार घड़ी लग सुरमा बरसा
सारो काणी धोबिन हो राम
द्योराणी जिठाणी बूझण लागी
कुणसा हे हरनन्दी तेरा भाई हो राम
ओरां के आवैं भाई भतीजे
मेरे किरसन जी आए हो राम