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दूरबीन / आरसी प्रसाद सिंह
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दूरबीन से देखो भाई,
जो न पास में पड़े दिखाई!
आसमान के तारे लगते
जैसे जुगनू घास में,
चाँद खिसककर आ जाता है
जैसे पैसा पास में!
या कि रामदाने की लाई,
दूरबीन से देखो भाई!
छप्पर पर के कद्दू-जैसा
लगता सूरज दूर का,
धु्रव तारा लगता है मानो
लड्डू मोतीचूर का!
खा मत लेना समझ मिठाई,
दूरबीन से देखो भाई!
तीस कोस पर जो मंदिर है
लगता अपने द्वार पर,
ठीक नाक के पास पहुँचते
जो फल रहते ताड़ पर!
ज्यों पॉकेट में दियासलाई,
दूरबीन से देखो भाई!