देखो, हर ओर उल्लास है / लाल्टू
1
पत्ता पत्ते से
फूल फूल से
क्या कह रहा है
मैं तुम्हारी और तुम मेरी आँखों में
क्या देख रहे हैं
जो मारे गए
क्या वे चुप हो गए हैं?
नहीं, वे हमारी आँखों से देख रहे हैं
पत्तों फूलों में गा रहे हैं
देखो, हर ओर उल्लास है।
2
बच्चा क्या सोचता है
क्या कहता है
देखता है प्राण बहा जाता सृष्टि में
चींटी से, केंचुए से बातें करता है
उँगली पर कीट को बैठाकर नाचता है कि
कायनात में कितने रंग हैं
यह कौन हमारे अन्दर के बच्चे का गला घोंट रहा है
पत्ता पत्ते से
फूल फूल से पूछता है
मैं और तुम भींच लेते हैं एक दूजे की हथेलियाँ
जो मारे गए
क्या वे चुप हो गए हैं?
नहीं, वे हमारी आँखों से देख रहे हैं
पत्तों फूलों में गा रहे हैं
देखो, हर ओर उल्लास है।
3
लोग हँस खेल रहे हैं
ऐसा कभी पहले हुआ था
बहुत देर लगी जानने में कि एक मुल्क क़ैदख़ाने में तब्दील हो गया है
धरती पर बहुत सारे लोग इस तकलीफ़ में हैं
कि कैसे वे उन यादों की क़ैद से छूट सकें
जिनमें उनके पुरखों ने हँसते-खेलते एक मुल्क को क़ैदख़ाना बना दिया था
इसलिए ऐ शरीफ़ लोगो, देखो
हमारी हथेलियाँ उठ रहीं हैं साथ-साथ
मनों में उमंग है
अब हर कोई अख़लाक है
हर कोई कलबुर्गी
हर कोई अंकारा में है
हर कोई दादरी में है
हर प्राण फिलस्तीन है
हमारी मुट्ठियाँ तन रही हैं साथ-साथ
देखो, हर ओर उल्लास है।
4
हवा बहती है, मुल्क की धमनियों को छूती हवा बहती है
खेतों मैदानों पर हवा बहती है
लोग हवा की साँय-साँय सुनने को बेताब कान खड़े किए हैं
हवा बहती है, पहाड़ों, नदियों पर हवा बहती है
किसको यह गुमान कि वह हवा पर सवार
वह नहीं जानता कि हवा ढोती है प्यार
उसे पछाड़ती बह जाएगी
यह हवा की फितरत है
सदियों से हवा ने हमारा प्यार ढोया है
जो मारे गए
क्या वे चुप हो गए हैं?
नहीं, वे हमारी आँखों से देख रहे हैं
पत्तों फूलों में गा रहे हैं
देखो, हर ओर उल्लास है।