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दौड़ / ओम प्रभाकर
Kavita Kosh से
बच्चे ने खोली अलमारी,
अलमारीसे निकला बस्ता।
बच्चे ने फिर बस्ता खोला,
बस्ते से निकली इक पुस्तक।
फिर बच्चे ने खोली पुस्तक,
पुस्तक से निकला इक पाठ।
फिर बच्चे ने खोला पाठ,
और पाठ से निकली रोटी-
निकली और बाहर को भागी,
उसके पीछे बच्चा दौड़ा।
आगे रोटी, पीछे बच्चा
पीछे बच्चा, आगे रोटी,
दौड़ अभी भी जारी है।
-साभार: पराग, अक्तूबर, 1981, 48