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धरती गोहरा रही है / श्रीरंग
Kavita Kosh से
आओ
आओ लोगों
आओ
पृथ्वी के दीर्घ जीवन के लिए
जुटी इस वृहत महासभा में
पृथ्वी की दीनता, हीनता, दयनीयता
मुक्ति के विचार के लिए, अपनी राय बताओ लोगों ....
अनचाहों
यह जो पृथ्वी है जुती
सूर्य कोल्हू से सौर्य तेल पेर रही
बूंद बूंद जुहा रही है ऊर्जा
कंधे छिल चुके हैं
रिस रहा है खून/कठुआया घाव
गठियाई गर्दन
यह सब तुम्हारी वजह से है
आओ, आओ और देखो पृथ्वी वासियों
पृथ्वी के कंधे से कंधा मिलाओ, लोगों
दूध का कर्ज चुकाओ लोगों ......
आओ
पृथ्वी के सभी अक्षांश देशांतरों से
देखो
पृथ्वी का इतना बुरा हाल किसने किया
तुमने? किसी और ने तुम सभी ने
आओ
पृथ्वी को बचाने के लिए आओ
अग्नि के लिए, वायु के लिए, जल के लिए
जीवन के लिए आओ लोगों अब बच्चों की तरह
धरती को बचाओ लोगों ....।