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धरती होळै भंवै / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
भंवै धरती जुगां सूं..!
कोनी भंवता..
घर
आंगण
तिबारी
बाखळ
मा-बापू।
धरती अजै भंवै...
घर
आंगण
तिबारी
बाखळ
मा-बापू
भंवण लाग्या
धरती सूं कीं बेसी
मनोमन भंवती
जुवान हुवती
छोरी री
चिंता में।
भंवै धरती जुगां सूं..!
धरती अजै भंवै..!!
धरती कीं होळै भंवै..!!!