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धारा-लेखन / नलिन विलोचन शर्मा
Kavita Kosh से
सत्तावन की हवा-गाड़ी
लक्ष्य तक पहुँच कर रह गई।
दो-चार वर्षों में
दो मुँह होंगे या दो पूँछ,
एक मुँह और एक पूँछ
नहीं होगी, जैसा आज भी
कुछ-कुछ रह गया है :
धारा रेखन ने मोटर को
यथार्थ हवा-गाड़ी बना दिया है :
हिन्दी का शब्द ज़्यादा ठीक है।