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धूप बारिश की बरकतें मांगे / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
धूप बारिश की बरकतें माँगे
रहमतों की रिवायतें माँगे
ख़्वाब करने को खिल्वतें माँगे
अहदे माज़ी की बरकतें माँगे
गर्म रातों से राहतें माँगे
शहर किस से खुली छतें माँगे
आँख आईना सूरतें माँगे
हैरतों जैसी हैरतें माँगे
देखिए तो सदा के सहरा से
कान क़ुरआँ की किरअतें माँगे
क़द्र के साथ घटते क़द हम से
ऊँची ऊँची इमारतें माँगे