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नंदू को जुकाम / रामनरेश त्रिपाठी

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बहुत जुकाम हुआ नंदू को,
एक रोज वह इतना छींका।
इतना छींका, इतना छींका,
इतना छींका, इतना छींका।
सब पत्ते गिर गए पेड़ के,
धोखा हुआ उन्हें आंधी का!