Last modified on 29 जनवरी 2015, at 16:53

नजर लागी पिया पानी न जैहो / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नजर लागी पिया पानी न जैहों।
पनिया भरन खों गई पनघट पें,
देखत छैला लोट भागी,
पिया पानी न जैहों।
जब से देखी सांवरी सुरतिया,
तब से नैना भये पाजी, पिया पानी न जैहों।
करत न बैन बहत दोऊ नैना,
कुसमी चुनरिया भई दागी, पिया पानी न जैहों।