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नदी / अजेय
Kavita Kosh से
एक
दोस्त ,
मैं यहाँ इस किनारे
टीले पर चढ़ बैठा
कि तुम्हे उधर सागर की तरफ
बहता हुआ देखूँ.......
मज़ा तो खूब आया
लेकिन पीछे छूट गया !
1990
दो
उतरूँ
तुझ में
और तैर जाऊँ
बिन भीगे
उस पार !
2004