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नन्द महल गृह उनके जनम भये / भोजपुरी

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नन्द महल गृह उनके जनम भये, जाति के ओछ अहीर
धेनु चरावत, बेनु बजावत, दूध बेंची करत अहार।।१।।
माँह भार चढ़ि बइठेले राजा, बरिआ के करत हँकार
लेहु रे बरिआ, हाथ सुपरिया, नेवतहु देसवा-बिदेस।।२।।
करजोरी बिनती करेले सुचरिया, सुनि राजा भीखम नरेस
कवन-कवन हम राजा के नेवतब, कि कवन-कवन हम देस।।३।।
पूरुबहिं नेवतहु आदि उदयगिरि, आवर जे देस उजियान
अंतरिछ नेवतहु सुन्नर गनपत, मीर्त भवन सब लोग।।४।।
अकसहिं नेवतहु चान-सूरज जी के, पतले बासुकी नाग
कनछित नेवतो चचर बड़ाहन, बइरि के बड़ा हउँवे भान।।५।।
गोखुला नेवतहु, मोरंग-तिरहुत नेवतहु दिल्ली के राज
तैंतिस कोटि देव सब नेवतहु, नेवतहु पांडो के राज।।६।।
करनाटपुर, ओरइसा, कइसे के सजबों बरात
सोरठ-बोरठ, मारठ, मरहठ, बिहिया से अउरो बिराट।।७।।
गंगा नेतवो, जमुना नेतवो, जमुनी बड़ा हउँवे भान
अल-बिलंग-तिलंग-मायागिरि, नेवतहु धद्रम घाट।।८।।
हाँ रे एक जना नेवतहु नगरी दोअरिका, जहाँ बसे नन्द के लाल
गउरा सहिते महादेव नेवतो, रुकुमिनि धनि के बिआह।।९।।