निवृत विधि सचिव
नया महाभारत
ज्वाला मुखी सोये हुए है
जंगल की आग बुझ चुकी
केवल मरुथल ही जल रहा है
उसका ही धुआ है जो
आ रहा है इस ओर
नहीं सुहाता है गोतमी भूमि पर
भरत के वंशजों कों
नऐ महाभारत की बिजली का
चमकना धुऐ की गह्रराइयों से
चिंतित है सभी
नगर से गाँव तक।
हथियारों की खरीदी ने गरीबी कों
और नंगा कर दिया है
भूखी और प्यासी माँ के
सूखे हुए स्तन
अब दूध देते ही नहीं
क्या पिलाए गोद के शिशु कों
खेत में सूखा पड़ा है
पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है।
जल थल और आसमां में
सीमा रेखाएँ खिची है
सेन्य दल दीवार फौलादी
वना उन पर खड़ा है।
पीछे हम और हमारे देवता
निहत्थे खड़े है तमाशा देखते
कानून ने हमकों निहत्था कर दिया है
धर्माचार्य आधुनिक शस्त्र
और आधुनिक वाहन
देते ही नहीं है देवताओं को
आज के संग्राम
तीर और तलवार से
जीते नहीं जाते।
घर में देशद्रोही
शत्रु का झंडा उठाए घूमते है
शत्रु की जय कार करते हैं
भारत माँ के प्रति वफादारी की
उड़ा कर धज्जियाँ
जिन्दा अभी तक हैं
युद्ध जारी है एकतरफा
एक कोड़े मारने में व्यस्त
दूसरा चमड़ी बचाने में
कब तक चलेगा सिलसिला ऐसा।