बहुत बार, बहुत बार आपको याद किया ।
बहुत बार आँखों की सड़क से गुज़रे आप ।
झील-सी आँखों के सूर्यदीप्त ऐनकों पर
सिगरेट का धुआँ
चिन्तन के उठ रहे बादल-सा बिम्बित था ।
लगा नहीं, आप सिर्फ़ याद थे ।
(30 नवम्बर 1964)
बहुत बार, बहुत बार आपको याद किया ।
बहुत बार आँखों की सड़क से गुज़रे आप ।
झील-सी आँखों के सूर्यदीप्त ऐनकों पर
सिगरेट का धुआँ
चिन्तन के उठ रहे बादल-सा बिम्बित था ।
लगा नहीं, आप सिर्फ़ याद थे ।
(30 नवम्बर 1964)