भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नवका साल / मोती बी.ए.
Kavita Kosh से
अगेरिया रहल जेकर उ नवका साल आ गइल
रहल लदरल जवन कलियन से उ फुलवारी फुला गइल
सतवले सीत लहरी रहल ह सबके दिसम्बर में
दुआरे पर जनवरी ठाढ़ खिचड़ी लेके मुस्काइल
जो सरदी चाँपि देले बा त का लामे बसन्ते बा
ल देख, साँझि होते गाँव-घर कउड़ा बरा गइल
भइल बरसात में जवन फजीहत बाढ़ि पानी से
तपन के ताप के लूहे के सगरो दुख भुला गइल
पुरनका साल से असरा रहल ह जवन पंचन के
नया उम्मेदि होता देखि नवका साल मनुआइल
25.12.94