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नहीं, चांद नहीं है / ओसिप मंदेलश्ताम
Kavita Kosh से
नहीं, चाँद नहीं है<ref>यह माना जाता है कि प्रतीकवाद से पूरी तरह से अलग होने के बाद मन्देलश्ताम की यह पहली कविता थी। यहाँ से आगे मन्देलश्ताम के लेखन पर कवि बात्युश्कोव का प्रभाव है।</ref>
चमकदार डायल है घड़ी का
दमक रहा है जो मेरे रूप में
पर इसमें मेरा क्या है दोष
यदि छू लेता हूँ मैं
आकाशगंगा में शामिल
सितारों को निर्दोष
बुरा लगता है मुझे
बात्युश्कोव<ref>प्रसिद्ध रूसी कवि कन्स्तान्तिन बात्युश्कोव को पाग़लपन की बीमारी थी और जब उनसे समय पूछा जाता था -- क्या समय है? तो वे उत्तर देते थे ‘‘समय अनन्त है’’।</ref> का पाग़लपन
क्या समय है
जब पूछा जाता है उससे
समय अनन्त है
वह उत्तर देता है फट से
1912
शब्दार्थ
<references/>