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नहीं एक अपनी व्यथा कह गये / गुलाब खंडेलवाल

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नहीं एक अपनी व्यथा कह गये
निखिल विश्व की हम कथा कह गये

जो डूबा उसे डूब जाने दिया
'यही है यहाँ की प्रथा', कह गये

ये माना कि भूले नहीं तुम हमें
मगर लोग कुछ अन्यथा कह गये

वे देखें, न देखे, सुनें, मत सुनें
हमारा यही ज़ोर था, कह गये

सनद और क्या उनसे पाते, गुलाब!
'यथा नाम गुण भी तथा' , कह गये,
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