Last modified on 1 फ़रवरी 2010, at 22:41

नहीं बन सकती पुरुष / रंजना जायसवाल

चेहरे पर
मूँछें उगाकर
सिर पर
बाँधकर पगडी़
पहन कर
पुरुषों के वस्त्र भी
नहीं बन सकती पुरुष

मकई रानी!

नहीं बदल सकती
अपनी नियति
नहीं बचा सकती
ख़ुद को
भूने
पीसे
और सेंके जाने से...।