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नानी सेॅ गुहार / अमरेन्द्र

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नानी सेॅ गुहार
नानी, नानी पानी दे
गंदा छौ तेॅ छानी दे ।

भोरे दूध पिलैलोॅ कर
राती लोरी गैलोॅ कर
हमरे साथ नहैलोॅ कर
हमरे साथें खैलोॅ कर
चूलो चोटी बान्ही दे
भात-दाल सब रान्ही दे ।
 
की बोलै छैं ? गिनती गिन
सुनथैं माथोॅ भिन-भिन भिन
खेलभौ, रात हुवेॅ कि दिन
की करभैं होय्ये आगिन
पुल्ली-डंडा लानी दे
ऐंगन्हैं खच्चो खानी दे ।