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नारी / सुशीला सुक्खु
Kavita Kosh से
नारी, तुम्हारी शक्ति है भारी
बन विदुषी वीर खिलाड़ी
चला अपने जीवन की गाड़ी
कभी न मानना हार
रहो न मन को मार
दूर भगाओ यह बीमारी
न रहेगी लाचारी
तुम ईश्वर की सब से प्यारी
तुम्हारी शक्ति है भारी
हाँ, तुम नारी।