भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नाश्ता / संतोष अलेक्स

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डाइनिंग टेबुल पर
खाना रखा हुआ है
कुछ भी खा नहीं सकता

तीखा, मीठा और नमकीन
मेरे खिलाफ़
हडताल पर हैं

मेरा मित्र
आज इस दुनिया में नहीं है
जिसने कल मेरे साथ नाश्ता किया

कल सुबह
मेरे मित्र ने नाश्ते पर
बुलाया है

हड़ताल वालों को
किसी न किसी तरह चुप कराना है