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निज़ाम / कुँअर रवीन्द्र
Kavita Kosh से
निज़ाम लुटेरा नहीं होता
वह सिर्फ़
लुटेरों का संरक्षक होता है
वह डरपोक भी नहीं होता
फ़ौज तो सिर्फ़
जनता की सुरक्षा के लिए नहीं
अपना भय छुपाने के लिए रखता है
वह झूठ जनता के लिए नहीं बोलता
वह अफवाहें
जनता को डराने के लिए नहीं फैलाता
वह सिर्फ
अपनी मूर्खता छुपाने के लिए यह सब करता है
और जनता मूर्ख नहीं होती
अवसर देती है
फिर अवसर आने पर
अवसर का उपयोग करती है