भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निन्दा / भावना मिश्र
Kavita Kosh से
कितनी निन्दा है हमारे देश में
अंग प्रदर्शन करने वाली स्त्रियों की
संस्कृति के सारे ठेकेदार एकजुट हैं इस मुद्दे पर
वे अख़बारों में, टीवी चैनलों पर कलेजा फाड़ कर
निन्दा करते हैं ऐसी स्त्रियों की
और रात बीतते बरामद होते हैं
उन्हीं औरतों के बिस्तरों पर
उपभोग की दीर्घ शृंखला के एक छोर पर
उत्पाद है और दूसरी ओर उपभोक्ता
पुरुष हर रूप में है तारणहार