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निपटे बउराहा गौरा दूलहा तोहार / महेन्द्र मिश्र

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निपटे बउराहा गौरा दूलहा तोहार।।
धुरूमी-धुरूमी ई त घूमेलें अंगनवाँ, त गोरवा में फटली बेवाय।
से गोरवा में फटली बेवाय।।
बुढ़वा गँवार जइसन ठाढे दुअरवा,
तीनों नैना देखि जियरो डेराया।।
का करे गइलु तप अइसन तपसी के,
अटपट बोले इ त तनिको ना लजाय।।
टक-टक ताके ई त नाहें के बा तपसी,
कि अलख जगावे ई हो झोरी लटकाय।।
दूल्हा 'महेन्द्र' तीनों लोक के ठाकुर,
अवढरदानी भोला हँसेले डमरू बजाय