भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नियति नाम की यह बच्ची / वरयाम सिंह
Kavita Kosh से
बहुत ज़िद्दी बच्ची है यह नियति
हम दोनों भी उसके हाथ में कैसे खिलौने!
न जाने किसने और किस मौके पर
भेंट किया हमें इस बच्ची को।
खिलौनों के भी तो रिश्ते होते हैं
खिलौने भी तो प्रेम करते हैं एक-दूसरे को
और इतना प्रेम करते हैं
कि बता नहीं पाते एक-दूसरे को
और इतना डरते हैं अपने प्रेम से
कहीं यह बच्ची तोड़ ही न दे उन्हें
खिलौने भी न रहने दे।
बच्ची तो बच्ची है
इच्छा होती है तो मिलने देती है दोनों को
नहीं तो पटक देती है इधर-उधर
खिलौने तो शिकायत नहीं कर सकते
एक-दूसरे से भी नहीं।