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निवेशक / संजय कुंदन
Kavita Kosh से
वह मुझे एक गुल्लक समझता है
और रोज अपना नमस्कार मुझमें डाल देता है
वह एक दिन सूद सहित अपने सारे नमस्कार
मुझसे वसूल कर लेगा
उसके लिए अभिवादन भी निवेश है
और धन्यवाद भी
किसी की हेयरस्टाइल की तारीफ
वह यूँ ही नहीं करता
किसी की कमीज को अद्भुत बताते हुए
वह अंदाजा लग रहा होता है कि
वह कितने लाख का आदमी है
वह अपनी मुस्कराहट का पूरा हिसाब रखता है
जब किसी की मिजाजपुर्सी के लिए
गुलदस्ता और फलों की टोकरी लिए
वह जा रहा होता है
उसके भीतर अगले पाँच वर्षों की योजना
आकार ले रही होता है
वह सोच रहा होता है कि इस बीमार व्यक्ति से कहाँ
कब-कब क्या काम निकाला जा सकता है।