नीला तोता / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत
मास्टरजी ने कहा है
बच्चों से —
बनाओ तोते का चित्र
और मास्टरजी गए हैं कक्षा से बाहर
तम्बाखू-खैनी रगड़ने।
किसी और कक्षा में कठिन-सा गणित का सवाल देकर
एक मास्टरनी भी
आ गई है बाहर
दोनों की गपशप
चल पड़ती है देर तक
तब तक, बच्चे हल कर देते हैं गणित का सवाल
और भर देते है तोते में रंग
समय था इसलिए कुछ बच्चे
तोते को डाल पर बैठा कर
अमरुद की फाँक दे देते हैं खाने को,
तो किसी का तोता डाल पर
झूला झूलते हुए करता हैं टाइमपास
कक्षा में बस तोते ही तोते हैं
पूरी कक्षा हो गई हरी-भरी
बच्चे ख़ामोश हो जाते हैं..
मास्टरजी के वापस कक्षा में आने पर
मास्टरजी देखने लगते हैं चित्र हर एक का
किसी तोते की चोंच में दोष दिखाते
कहीं आकार का मज़ाक बनाते,
मास्टरजी निपटा देते हैं पूरी कक्षा..
एक चित्र के पास चिल्लाते हैं ठिठककर,
“तेरे बाप ने भी कभी देखा है नीला तोता?”
मास्टरजी के गुस्से पर
हँस पड़ती हैं पूरी कक्षा ..
परन्तु वह बच्चा चुप हैं बिलकुल चुप
तोते की लाल चटकदार चोंच का अवलोकन करते…
मास्टरजी ने नीला तोता क्या देखा
बच्चे पर “बाप” का तंज कस दिया
किन्तु बच्चे की रंगपेटी नहीं देखी…..
देखी होती तो वे भी जान पाते
बच्चे इतने बेवकूफ नहीं होते
रंगपेटी में नहीं होता
हरा और सुआपंखी रंग
तब उसका समीपतम होता है नीला रंग..केवल नीला रंग
यह अच्छे से पता होता है बच्चों को..
बच्चे की आँखों में छाए हैं
तोते के समूह के समूह!
हरे झख तोतों के
उसमें
उसका भी है एक नीला तोता
ऊँची
उड़ान
भरता हुआ.....
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत