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नुनू रोॅ मामा / नवीन ठाकुर ‘संधि’
Kavita Kosh से
आबोॅ नुनू आबोॅ हो,
दूध भात सानी खाबोॅ होॅ।
तोरा लोॅ छौंव कटोरी,
खाय छोॅ तोहेॅ बटोरी।
माय सुनैतोॅ लोरी,
नानी पियैतौं मिश्री घोरी।
दॉतोॅ सें मिश्री चिबाबोॅ हो,
माय गेल्होॅ कमाय लेॅ तोरी,
नोचै छोॅ होल्होॅ घमौरी।
साबुन लगैभोॅ तोरा खखोरी,
एक दाफी लगैभोॅ बेरी-बेरी।
चलोॅ दुन्हू लगावोॅ हो।
लाही धोय तोहें देखोॅ एैना,
तालू आयतौं पढ़ी सुनैना।
मिट्ठाय लैकेॅ आयल्होॅ मामा,
कैन्हेॅ करै छोॅ रोना धोना।
सब्भै मिली केॅ "संधि" खैबोॅ होॅ।