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नृत्य गीत / 1 / भील
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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आंबि सांबि खेलो वो लिलरियो।
गेंद्यो फूल खेलो वो लिलरियो।
आइणि रांड के धरो वो लिलरियो।
गेंद्यो फूल खेलो वो लिलरियो।
आइणि रांड के धरो पुण डरो निहिं।
- एक दूसरी के गले और कमर में हाथ डालकर, हाथ पकड़कर नाचते हुए महिलाएँ यह गीत गाती हैं। आमने-सामने दो भागों में बँटकर यह गीत गाया जाता है- आमने-सामने लिलरिया खेल रही हूँ। गेंदा का फूल खेल रही हूँ लिलरियो। समधन को पकडूँ, परन्तु डरूँ नहीं।