भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नेताजी री पीड़ / मधु आचार्य 'आशावादी'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उण दिन नेताजी
जनता खातर उपवास राख्यो
धरणो लगायो
भासण दियो
अर जीवण-मरण री सौगन खाई
उणां खातर ही
आ तो रोज री हथाई।
उपवास खतम हुयो
तो पूगग्या खेत
मुरगो खायो
दारू रो भोग लगायो
अर चाळो रच्यो
गांव री कोई जमीन
नीं रैवै पराई।
अेक आखो गांव
नेताजी रै नांव
उपवास फेरूं करै
किसानां रै हितां खातर
उपवास अर हथाई
चालै आज तंाई
रोवै खाली
गांव रा लोग-लुगाई।