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न जानू राम कहा गिरी मोरी बेसर / बुन्देली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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न जानू राम कहां गिरी मोरी बेसर
ससुरा जी कहें ढूंढ़ो बेसर,
नई तो सासो न पहिने देहें एकऊ जेबर।
मोरे जेठा जी कहे बहू ढूंढ़ो बेसर,
नई तो जिठनी के देखत बने तेवर। न जानू राम...
देवरा जी कहें भौजी ढूंढ़ो बेसर।
नई तो भैया जी मारे सरर सरर। न जानू राम...
ननदी कहें भौजी ढूंढ़ो बेसर
नई तो भैया न बनवायें एकऊ जेबर। न जानू राम...
सैयां जी कहें धना जाने दो बेसर
मैं तो नये बनबाय दूं तुम्हें जेबर।