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पंक और पंकज / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
पसरे हुए पंक पर
खिला हुआ कमल
कमल मेरे प्यार का
बहुत प्यारा है मुझे
पर इस कीचड़ से मोह कैसे तोड़ दूँ
जहाँ से दो-दो जोड़े चरण
एक बार आ मिले थे
पंक, तुम्हें मैं प्यार करती हूँ ।