भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पंखा / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
बिजली आई तो झटपट से
पंखा चला, मिला है चैन,
बाहर कितनी भी गरमी हो
घर में पंखे से है चैन।
पंखे, पंखे, सच कह देना
किसने तुझे बनाया था?
सबके मन को ठंडक देना
किसने यह समझाया था?
गरमी में दुनिया झल्लाई
पंखा है तो है कुछ चैन,
वरना गरमी चाची आकर
कर देती सबको बेचैन!