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पंजड़ो पहिरियों / लीला मामताणी
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आयो अमर लाल अवतारु, अंधड़नि जो आधारु।
1.
नसरपुर में संत रतनराइ, रहियो थे निरवारि।
लुहाणा खत्री ज़ाति हुयसि, देवकी नाले नारि॥
2.
जनमु उॾेरे वरितो उते, पिरह फुटीअ प्रभात।
ॾह सौ सत जो चेटु महीनो, तिथि ॿीज शुक्रवार॥
3.
जनम ॾिहाड़े उभ में थियडा ककर कारा बेशुमार।
बरसी बूंद वसाइण लॻा, चङां सूण चौधार॥
4.
लख लख लीरूं माण्हू ॾेई, थियड़ा थे ॿलिहार।
जणिए तिलक जो राखो थी, बचायाईं हिंदू कारि॥
5.
मायूं, मर्द, ॿुढिड़ा ॿालक, जाधा खुश त अपार।
लाल जा झाटी सभई चओ, झूले झूले लाल॥
उॾेरा झूले, झूले लाल॥