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पक्कायत करै हर / नीरज दइया
Kavita Kosh से
कांई थानै
किणी सूं करती बगत हेत
भूलै भटकै चेतै आवै-
बगत रा बोल
उण रा कोल
जिणां सूं कर्यो हो हेत?
बो हेत कांई हो?
कांई नांव हो उण हेत रो?
उण हेत नै
लुकोवण मांय हुवै सार।
क्यूं कै बै
जिणां सूं हो हेत
आपरै घरां पूग’र
कदै कदास पक्कायत करै हर
आपरै बां दिनां री
जिणां मांय होवै रंग-
झीणी का गाढी प्रीत रा।