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पगोथिया / नीरज दइया
Kavita Kosh से
मैल-माळिया
चिणीकै एक माथै एक
अर बधै मजलां,
मजलां सारू ई’ज बण्या है-
पगोथिया।
जे नीं हुवै पगोथिया
हुवै आपां नै कित्ती अबखाई
एक मजल सूं-
दूजी मजल पूगतां।
भायला, देखूं जठीनै
क्यूं दीसै है-
गुंझा री ठौड़
बाकां में भर्या
मनां नै डिगांवता
कडक-आकरा नोट!
हिडकाव उपडग्यो
कुत्तां रै साथै कागलां नै
कमठाणो छोड’र
मजूर भाई
भेळा करण मांय गुमग्या है-
धरती सूं
छेकडली मजल तांई रा-
पगोथिया!
बिना चेजै पगोथिया
थरपण री आ बाण
थूं ना पोळावजै भायला।