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पढ़ने जा / धनन्जय मिश्र
Kavita Kosh से
समझ बुझी केॅ पढ़ने जा
स्कूल सबसें पहिनें जा।
गुरु जी सें पूछनें जा
याद पाठ केॅ करनें जा।
मार-पीट से बचतें जा
मोॅन धरी केॅ पढ़तें जा।
लिखै-पढ़ै में जे होशियार
खेल-कूद में भी तैयार।
पढ़-लिख बाबू बनते जा
मदद सब्भे के करते जा।
अब्दुल कलाम केॅ मनोॅ में सोची
राजेन्दर, गांधी बनतें जा।
देश के खातिर जीने जा
दुश्मन मार भगैनें जा।