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पढ़ै वाला भाय/बहिन सें / कस्तूरी झा 'कोकिल'
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असकल्लोॅ जिनगी,
रही-रही बौराय छै।
उठी बैठी लिखै छीयै,
जे कुछ लिखाय छै।
जब ताँय कृपा रहतै,
सरस्वती मैइया केॅ।
तब ताँय चलतै कलम
अनुज या भैइया केॅ।
जे कुछ बुझाभौं
लिखी केॅ भेजिहौ।
एतनें सन बतिया जी
हमरॅ तों मानिहौ।