भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पत्ती का बयान / मिंग दी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वर्गिक आघातों से सवाल करती हवा में
ढह जाते चिनार का जवाब —

एक हज़ार सफ़ेद पत्तियाँ। एक हज़ार
निर्दोष कलियाँ एक हज़ार
दस हज़ार निर्दोंष माफ़ियाँ


मैं एक पत्ती उठाती हूँ, जकड़ लेती हूँ मुट्ठी में
जैसे थाम रही हूँ समूचा दरख़्त

क्यू युनान बताता है
पत्ती सच्चाा बयान है दरख़्त का

तांग लोग बताते हैं,
पतझड़ के दौरान पत्ती ही उघाड़ती है
समूचे शरद का रहस्य

मगर मैं तो महज एक पत्ती ही देखती हूँ।