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पत्थर भी बोलते हैं / केदारनाथ अग्रवाल

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पत्थर भी बोलते हैं

जब चिड़ियों का झुंड

बैठ जाता है उन पर,

और वे चहकती हैं आपस में !

पत्थर के ये बोल

मुझे मीठे लगते हैं,
और हृदय में रस भरते हैं

अंगूरों से निकला

मीठा-मीठा ताज़ा !